'अकबर महान' की अवधारणा को हटवाकर महाराणा प्रताप की गौरवगाथा सम्मिलित करवाई पाठ्यपुस्तकों में - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी

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प्रताप गौरव केन्द्र में महाराणा प्रताप की 57 फीट ऊंची बैठक प्रतिमा का दुग्धाभिषेक
  उदयपुर/राजस्थान।। मेवाड़ की वीरता, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया पर गुरुवार को प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ में महाराणा प्रताप की 57 फीट ऊंची भव्य बैठक प्रतिमा का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दुग्धाभिषेक किया गया, जिसमें सैकड़ों गणमान्य जनों की उपस्थिति रही।
'अकबर महान' की अवधारणा को हटवाकर महाराणा प्रताप की गौरवगाथा सम्मिलित करवाई पाठ्यपुस्तकों में - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी
  इस आयोजन में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. वासुदेव देवनानी, राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, ऑर्गेनाइजर पत्रिका के प्रधान संपादक प्रफुल्ल केतकर, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रमोद सामर, चंद्रगुप्त सिंह चौहान, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, पूर्व उप महापौर पारस सिंघवी, भारत विकास परिषद 'महाराणा प्रताप', जैन सोशल ग्रुप सहित अनेक संगठनों के प्रतिनिधि एवं गणमान्य अतिथि सम्मिलित हुए।
'अकबर महान' की अवधारणा को हटवाकर महाराणा प्रताप की गौरवगाथा सम्मिलित करवाई पाठ्यपुस्तकों में - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी
समारोह का संचालन करते हुए प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह आयोजन प्रताप के पराक्रम और मातृभूमि के प्रति उनके अद्वितीय समर्पण की स्मृति को जनमानस में सजीव करने का एक प्रयास है।
  वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप स्मारक समिति के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन केवल 57 वर्षों का था, लेकिन उसमें जो पराक्रम और स्वाभिमान समाहित था, वह युगों तक प्रेरणास्रोत रहेगा। इसी विचार से 57 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण हुआ है, जो न केवल उनकी वीरता की प्रतीक है, बल्कि हर भारतवासी को साहस और स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा देती है।
'अकबर महान' की अवधारणा को हटवाकर महाराणा प्रताप की गौरवगाथा सम्मिलित करवाई पाठ्यपुस्तकों में - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी
  मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. वासुदेव देवनानी ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्होंने शिक्षा मंत्री रहते हुए इतिहास की पुस्तकों में 'अकबर महान' की अवधारणा को हटवाकर महाराणा प्रताप की गौरवगाथा को सम्मिलित करवाया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप न केवल मेवाड़ के, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष के गौरव हैं, जिन्होंने स्वाधीनता के लिए जीवनभर संघर्ष किया।
  इस अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष अशोक पुरोहित, उपाध्यक्ष डॉ. एम.एम. टांक, सुभाष भार्गव, संयोजक सीए महावीर चपलोत, सह संयोजक प्रो. अनिल कोठारी, डॉ. सुहास मनोहर सहित कई समाजसेवी उपस्थित रहे।
  महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा पर किए गए दुग्धाभिषेक ने सम्पूर्ण वातावरण को शौर्य, भक्ति और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कर दिया। इस दौरान एकलिंगनाथ और महाराणा प्रताप के जयकारों से परिसर गूंज उठा।

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