बांसवाड़ा/राजस्थान।। केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार दोनों ही कम संतान को सुखी जीवन का प्रतीक मानते हैं और नसबंदी को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके बावजूद, यदि नसबंदी के बाद भी कोई महिला गर्भवती हो जाती है, तो यह चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। आज हम राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ उपखंड क्षेत्र के खेड़ा धरती घाटा क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहकमपुरा में एक ऐसी महिला के मामले पर चर्चा कर रहे हैं, जिसने नसबंदी करवाई थी।
मामला इस प्रकार है कि श्रीमती कर्मा, जो लालू भील की पत्नी हैं और भील आदिवासी समुदाय से संबंधित हैं, ने आमलीपाडा पंचायत के सातलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहकमपुरा में अपने पति लालू भील की नसबंदी करवाई। जानकारी मुताबिक 10 जनवरी 2025 को मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक नसबंदी शिविर आयोजित किया गया था, जहां श्रीमती कर्मा की भी नसबंदी की गई। लेकिन बावजूद इसके अब उक्त महिला गर्भवती हैं।
वही पीड़ित महिला और उनके पति के साथ-साथ ग्रामीणों ने चिकित्सा विभाग पर सवाल उठाए हैं। पीड़िता के पति ने पाटन थाना प्रभारी और जिला पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की है। जब हमने मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी से बात की, तो उन्होंने बताया कि नसबंदी के लिए मोटिवेट करना उनका काम नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार नसबंदी शिविर चलाती है। यदि नसबंदी के बाद कोई महिला गर्भवती होती है, तो शिविर प्रभारी को सूचित किया जाना चाहिए।