अज्ञानता और तमोगुणी आसुरी संस्कारों का शमन पर्व है शिवरात्रि : साध्वी भागीरथी भारती

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  डूंगरपुर/राजस्थान।। वर्तमान समय में जीवन और अध्यात्म से जुड़े प्रश्नों पर विवेकयुक्त और यथार्थ ढंग से वर्तमान परिस्थितियों में चिन्तन करने की आवशयकता है तभी महाशिवरात्रि के पर्व को यथार्थ ढंग से मनाकर संसार को सही दिशा दी जा सकती है एवं मानव मन में व्याप्त अज्ञानता और तमोगुणी आसुरी संस्कारों का शमन किया जा सकता है। यह उदगार दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, डूंगरपुर शाखा प्रभारी साध्वी भागीरथी भारती ने महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग प्रवचन कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 
  महाशिवरात्रि पर्व पर अटल बिहारी सामुदायिक भवन, सदर थाना में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि के वास्तविक आध्यात्मिक अर्थ को बताते हुए कहा कि ‘महाशिवरात्रि’ के सम्बन्ध में सबसे अनोखी बात यह है कि इसका सम्बन्ध एक जीव का परमात्मा से जुड़ जाने से होता है। भगवान शिव जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्त हैं तथा जीव को भी बंधन मुक्त कर देते हैं।
  इस अवसर पर साध्वी चिन्मया भारती जी ने कहा कि शिव के आध्यात्मिक स्वरूप का बोध होने पर ही शिवरात्रि महापर्व की वास्तविक अर्थ को जाना जा सकता है। 
  कार्यक्रम में साध्वी अंजनी भारती जी ने भगवान शिव की महिमा, वेदों की महिमा, संस्कृति की महिमा के साथ ही संस्थान के दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा जन-जन तक वेद ग्रंथ में निहित वास्तविक ज्ञान को पहुंचाए जाने हेतु चलाए जा रहे प्रकल्पों के बारे में जानकारी दी।
  कार्यक्रम में गुरु भाई प्रशांत जी, पवन जी, मोहित जी, हितेश जी, रजत जी ने सुमधुर भजनों के गायन एवं वादन के माध्यम से आध्यात्मिक वातावरण को नई ऊंचाइयां प्रदान की। वही कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक गण तथा श्रद्धालु जन मौजूद रहे।

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