'गोमय वसते लक्ष्मी’ – सुयश संस्था ने शुरू किया स्वर्ण खाद अभियान, जनजाति किसान बनेंगे स्वावलंबी

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  बांसवाड़ा/राजस्थान।। सुयश जनजाति कृषि विकास संस्था, पुणे (महाराष्ट्र) द्वारा कुशलगढ़ क्षेत्र में जनजाति किसानों के लिए 'स्वर्ण खाद अभियान' का शुभारंभ किया गया। इस अभियान के अंतर्गत किसानों को गाय आधारित जैविक खेती तथा गोबर से केंचुआ खाद निर्माण की तकनीक सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल की गई है।
'गोमय वसते लक्ष्मी’ – सुयश संस्था ने शुरू किया स्वर्ण खाद अभियान, जनजाति किसान बनेंगे स्वावलंबी
  कार्यक्रम का आयोजन ग्राम टिमेड़ा छोट में किसान मलजी भाभोर के खेत पर किया गया, जहां सुयश संस्था के मार्गदर्शन में कार्य कर रहे 130 किसानों द्वारा निर्मित खाद का "लक्ष्मी पूजन" कर इसे सम्मानित किया गया। आयोजकों ने इसे ‘गोमय वसते लक्ष्मी’ की भावना से जोड़ते हुए बताया कि यह खाद किसानों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।
  मुख्य वक्ता भरत कुमावत ने बताया कि वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है और मानव जीवन पर इसका गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, जिससे कैंसर, शुगर और लकवे जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में गाय आधारित जैविक खाद एक सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प है।
 
  सुयश संस्था की तकनीकी से एक किसान मात्र एक माह में चार क्विंटल केंचुआ खाद तैयार कर सकता है और एक वर्ष में चार टन खाद का उत्पादन संभव है। इस खाद को ‘स्वर्ण खाद’ नाम से पेटेंट भी कराया गया है, ताकि इसे बाहरी बाजारों, यहाँ तक कि खाड़ी देशों में भी निर्यात किया जा सके। आज कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के करीब 2000 किसान सुयश पद्धति से खाद निर्माण की दिशा में कार्यरत हैं। किसानों को वेल खेती और सब्जी उत्पादन की दिशा में भी मार्गदर्शन दिया जा रहा है, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके।
  कार्यक्रम में जनजाति सुरक्षा मंच के बहादुर जी, कल्लू महाराज, कृष्ण गिरी, बहादुर भाभोर, जयसिंह चरपोटा सहित 22 गाँवों के 130 किसान उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भरत कुमावत पूर्ण समय मौजूद रहे और किसानों को विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान किया।

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